Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -16-Aug-2022 काश! मैं पानी पूरी होती

शीर्षक - काश !  में पानी पूरी होती


मुझे पसंद नहीं है मीठा,
दांत में लग जाता है कीड़ा।

दांत हो जाते हैं खराब,
मुंह लगता है बेकार।

मुझे पसंद है पानी पुरी,
मुंह में गप से रखती,
करती  देती मुंह में चुप्पी।

पानीपूरी लगती चटपटी,
पसंद करती हर नारी,
सबके मन को बहुत भाती।

तरह तरह का पानी होता,
जब भी आता गली में ठेला,
लग जाता उसके पास मेला।

मन को नहीं रोक पाती,
देख मुंह में आ जाता पानी,
दौड़ी-दौड़ी ठेले के पास जाती।

पांच प्रकार के होते मटके,
कौन-कौन से खाऊं मन भटके,
दे दिए मैंने उसको रुपए।

मैं बोलती! सुन रे ठेले वाले,
सभी प्रकार के तू खिला दे,
सभी का मुझे स्वाद चखा दे।

पानीपूरी है बड़ी किस्मत वाली,
कभी इमली की चटनी में डुबकी लगाती,
कभी खट्टा पानी तो कभी मीठा पानी ।

सभी स्वाद वो चख लेती,
काश! मैं भी होती पानी पूरी,
सब को मैं पसंद आती।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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11 Comments

Pankaj Pandey

19-Aug-2022 09:28 AM

Very nice 👍

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shweta soni

18-Aug-2022 12:17 PM

Nice

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Chetna swrnkar

17-Aug-2022 09:58 PM

Bahut achhi rachana

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